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आयुर्वेद से डायबिटीज को नियंत्रित करें: शासकीय (स्वाशासी) आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, रीवा

Control Diabetes with Ayurveda

आयुर्वेद से डायबिटीज को नियंत्रित करें: शासकीय (स्वाशासी) आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, रीवा

डायबिटीज एक दीर्घकालिक रोग है जो आजकल लाखों लोगों को प्रभावित कर रहा है। यह रोग रक्त में शर्करा (ग्लूकोज) के स्तर के बढ़ जाने से उत्पन्न होता है और अगर इसका समय पर सही तरीके से प्रबंधन नहीं किया जाए, तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। आधुनिक चिकित्सा में डायबिटीज के इलाज के कई विकल्प मौजूद हैं, लेकिन आयुर्वेद, जो कि प्राकृतिक और समग्र उपचार की एक प्राचीन प्रणाली है, डायबिटीज के प्रबंधन के लिए एक अलग और प्रभावी दृष्टिकोण प्रदान करता है। मध्य प्रदेश के रीवा में स्थित शासकीय आयुर्वेद कॉलेज और अस्पताल आयुर्वेदिक उपचार, विशेष रूप से पंचकर्म, के माध्यम से डायबिटीज के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

डायबिटीज को समझना:

  1. टाइप 1 डायबिटीज: इसमें शरीर इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता, जो कि रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक होता है। यह आमतौर पर बचपन या किशोरावस्था में प्रकट होता है और इसके उपचार के लिए इंसुलिन थेरेपी की आवश्यकता होती है।
  2. टाइप 2 डायबिटीज: यह डायबिटीज का अधिक सामान्य रूप है, जिसमें शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता या शरीर में मौजूद इंसुलिन का सही उपयोग नहीं कर पाता। यह वयस्कों में अधिक आम है और इसे आहार, व्यायाम, और जीवनशैली में बदलावों के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है।

आयुर्वेद के दृष्टिकोण से डायबिटीज का प्रबंधन

आयुर्वेद में, डायबिटीज को ‘मधुमेह’ के रूप में जाना जाता है, और इसे ‘कफ‘ और ‘वात’ दोषों के असंतुलन के कारण होने वाली बीमारी माना जाता है। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से, मधुमेह के प्रबंधन के लिए निम्नलिखित विधियों का पालन किया जाता है:

1. हर्बल औषधियां

आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी-बूटियां हैं जो मधुमेह के इलाज में सहायक होती हैं। कुछ प्रमुख हर्बल औषधियों में शामिल हैं:

  • जामुन: जामुन के बीज और पत्तों का उपयोग रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में सहायक होता है।
  • मेथी: मेथी के बीज शरीर में ग्लूकोज के अवशोषण को धीमा करने में मदद करते हैं।
  • अमरबेल: यह जड़ी बूटी भी मधुमेह को नियंत्रित करने में सहायक मानी जाती है।

2. योग और ध्यान

योग और ध्यान न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं, बल्कि मानसिक तनाव को भी कम करते हैं, जो कि मधुमेह के प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विशेष रूप से, ‘प्राणायाम’ और ‘ध्यान’ जैसे अभ्यास रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में प्रभावी होते हैं।

3. पंचकर्म चिकित्सा

पंचकर्म, आयुर्वेदिक चिकित्सा की एक प्रमुख विधि है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालकर उसे शुद्ध और संतुलित करती है। पंचकर्म के अंतर्गत विरेचन, बस्ती, नस्य आदि प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है। यह चिकित्सा न केवल शरीर के दोषों को संतुलित करती है बल्कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती है, जिससे मधुमेह के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।

4. संतुलित आहार

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से संतुलित आहार का सेवन अत्यंत महत्वपूर्ण है। आयुर्वेद में मधुमेह के रोगियों को कड़वे, कसैले, और तिक्त (bitter) स्वाद वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसके साथ ही:

  • साधारण शर्करा और कार्बोहाइड्रेट से बचें: जैसे कि चीनी, मिठाई, और सफेद आटा।
  • फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें: सब्जियाँ, फल, और साबुत अनाज।
  • छोटे-छोटे भोजन: एक बार में अधिक भोजन करने के बजाय दिन में कई बार कम मात्रा में भोजन करें।

शासकीय आयुर्वेद कॉलेज और अस्पताल, रीवा

मध्य प्रदेश के रीवा में स्थित शासकीय आयुर्वेद कॉलेज और अस्पताल एक प्रतिष्ठित संस्थान है जो आयुर्वेद के अध्ययन और उपचार में अग्रणी है। यहाँ पर आयुर्वेदिक चिकित्सा में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा और उपचार प्रदान किया जाता है। इस संस्थान के प्रमुख पहलुओं में शामिल हैं:

  • शैक्षणिक उत्कृष्टता: यहां पर BAMS (Bachelor of Ayurvedic Medicine and Surgery) और विभिन्न पोस्टग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के माध्यम से आयुर्वेदिक शिक्षा प्रदान की जाती है।
  • आयुर्वेदिक उपचार: पंचकर्म, हर्बल चिकित्सा, और जीवनशैली प्रबंधन सहित विभिन्न आयुर्वेदिक उपचारों का यहां पर उपयोग किया जाता है।
  • अनुसंधान और विकास: कॉलेज में आयुर्वेदिक अनुसंधान को भी बढ़ावा दिया जाता है, जिससे नए आयुर्वेदिक उपचार विकसित होते हैं।
  • समुदाय सेवा: स्वास्थ्य शिविरों और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से समुदाय को लाभान्वित करने के लिए नियमित रूप से प्रयास किए जाते हैं।

निष्कर्ष

आयुर्वेद के माध्यम से डायबिटीज का प्रबंधन न केवल शरीर के दोषों को संतुलित करता है बल्कि व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य को भी सुधारता है। अगर आप डायबिटीज से पीड़ित हैं और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से इसे नियंत्रित करना चाहते हैं, तो शासकीय आयुर्वेद कॉलेज और अस्पताल, रीवा, में विशेषज्ञों की सलाह लें और एक स्वस्थ और संतुलित जीवन की ओर कदम बढ़ाएं।

अधिक जानकारी के लिए, आप निम्नलिखित संपर्क विवरणों का उपयोग कर सकते हैं:


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