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लिवर डिजीज का आयुर्वेदिक उपचार: शासकीय (स्वशासी) आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, रीवा

Ayurvedic treatment for liver disease

लिवर डिजीज का आयुर्वेदिक उपचार: शासकीय (स्वशासी) आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, रीवा

आधुनिक जीवनशैली और खान-पान की बदलती आदतों ने हमारे स्वास्थ्य पर गहरा असर डाला है। खासकर, लीवर रोगों की समस्या आजकल तेजी से बढ़ रही है। लीवर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो रक्त को शुद्ध करने, पाचन में मदद करने और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है। यदि लीवर सही तरीके से काम नहीं करता, तो यह कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। शासकीय (स्वशासी) आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, रीवा (म.प्र.) इस दिशा में आयुर्वेदिक चिकित्सा के माध्यम से प्रभावी समाधान प्रदान कर रहा है।

आयुर्वेद: प्राकृतिक उपचार का मार्ग

आयुर्वेद एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली है, जो शरीर, मन और आत्मा के संतुलन पर जोर देती है। आयुर्वेद में लीवर को एक महत्वपूर्ण अंग माना गया है, जिसे ‘यकृत’ कहा जाता है। यह पित्त दोष के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा लीवर रोगों के लिए जड़ी-बूटियों, आहार, और जीवनशैली में बदलाव को अपनाने का सुझाव देती है।

लीवर की सफाई और उपचार के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ

  1. भृंगराज: यह जड़ी-बूटी लीवर की सफाई के लिए अत्यधिक प्रभावी मानी जाती है। यह लीवर की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करती है और उसे स्वस्थ रखने में मदद करती है।
  2. आंवला: विटामिन सी से भरपूर आंवला लीवर को मजबूती देने और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक होता है।
  3. भूम्यामलकी: यह जड़ी-बूटी लीवर की सूजन को कम करती है और उसे डिटॉक्सिफाई करती है।

पित्त दोष का संतुलन

लीवर को स्वस्थ रखने के लिए पित्त दोष का संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। पित्त दोष के असंतुलन से लीवर की कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है। आयुर्वेद में पित्त दोष को संतुलित करने के लिए निम्नलिखित उपाय सुझाए गए हैं:

  • हल्दी: इसमें कर्क्यूमिन होता है, जो लीवर की सूजन को कम करता है और उसे स्वस्थ रखता है।
  • कुटकी: यह एक कड़वी जड़ी-बूटी है जो पित्त दोष को संतुलित करने और लीवर को सुरक्षा प्रदान करने में मदद करती है।
  • नीम: नीम लीवर को डिटॉक्सिफाई करता है और उसे स्वस्थ बनाए रखता है।

स्वस्थ आहार और जीवनशैली

आयुर्वेद में आहार और जीवनशैली का लीवर की सेहत पर गहरा प्रभाव माना गया है। सही खान-पान और नियमित दिनचर्या लीवर को स्वस्थ रखने में मदद करती है।

  • संतुलित आहार: हरी पत्तेदार सब्जियों, ताजे फलों, और उच्च फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। तले हुए और मसालेदार भोजन से बचें।
  • भरपूर पानी पिएं: पानी लीवर की सफाई के लिए आवश्यक है। दिनभर में कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए।
  • योग और ध्यान: नियमित योग और ध्यान न केवल मानसिक तनाव को कम करते हैं, बल्कि लीवर की कार्यक्षमता को भी सुधारते हैं।

शासकीय (स्वशासी) आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, रीवा में उपलब्ध सेवाएं

शासकीय (स्वशासी) आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, रीवा (म.प्र.) में अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक लीवर रोगों के उपचार में विशेषज्ञता रखते हैं। यहाँ पर पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ-साथ आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध हैं, जो रोगी के सम्पूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए समर्पित हैं।

  • व्यक्तिगत परामर्श: हर रोगी की समस्या को समझकर उसके लिए व्यक्तिगत उपचार योजना बनाई जाती है।
  • विशेष चिकित्सा शिविर: समय-समय पर लीवर रोगों के उपचार और जागरूकता के लिए विशेष चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया जाता है।
  • आयुर्वेदिक चिकित्सा: लीवर की समस्याओं के उपचार के लिए पारंपरिक आयुर्वेदिक औषधियों और पद्धतियों का उपयोग किया जाता है।

निष्कर्ष

लीवर रोगों का आयुर्वेदिक उपचार न केवल सुरक्षित और प्रभावी है, बल्कि यह सम्पूर्ण स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है। शासकीय (स्वशासी) आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, रीवा (म.प्र.) में अनुभवी चिकित्सक और विशेषज्ञों की टीम आपको लीवर की समस्याओं से निजात दिलाने में मदद कर सकती है। यदि आप लीवर की किसी भी समस्या से ग्रसित हैं, तो आज ही आयुर्वेदिक चिकित्सा का लाभ उठाएं और स्वस्थ जीवन का आनंद लें।

लीवर को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेद को अपनाएं और प्राकृतिक चिकित्सा के लाभों का अनुभव करें!!

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